जिला विधिक सेवा प्राधिकार एवं जिला बाल संरक्षण इकाई के संयुक्त तत्वाधान में सेक्स वर्कर के अधिकारों को प्रोटेक्शन देने एवं उनकी समस्याओं के समाधान पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में समाहरणालय सभा कक्ष में कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में जिला प्रशासन ,पुलिस प्रशासन के वरीय पदाधिकारी के साथ सभी स्टेकहोल्डर्स एवं सेक्स वर्कर पर कार्य करने वाली संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने शिरकत किया।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय एवं बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार, पटना के निर्देश एवं मार्गदर्शन में जिले के सेक्स वर्कर्स को उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता एवं संवेदीकरण विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि आज के कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पुलिस अधिकारियों एवं मीडिया कर्मियों को जागरूक करना है। सेक्स वर्कर्स के अधिकारों की रक्षा कैसे हो, उनके संवैधानिक अधिकार क्या है इसकी विस्तृत जानकारी इस कार्यशाला के माध्यम से दी गई। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 21 को स्पष्ट रूप से डिस्क्राइब किया है जिसके अनुसार सभी नागरिकों को जो संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं वैसे ही सेक्स वर्कर्स को यह अधिकार मिला हुआ है। बताया गया कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार सेक्स वर्कर्स के कार्य को एक व्यवसाय के रूप में माना गया है।कहा कि इन्हें भी आम नागरिक की तरह पूरी मर्यादा के साथ जीने का अधिकार है।कहा कि सेक्स वर्कर्स के अधिकारों की सुरक्षा की दिशा में सभी स्टेकहोल्डर पूरी गंभीरता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करें। उनके प्रति समाज, पुलिस प्रशासन एवं जिला प्रशासन को अति संवेदनशील होना होगा।
इसके पूर्व कार्यशाला में उपस्थित जिलाधिकारी मुजफ्फरपुर प्रणव कुमार ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बुद्धदेव करमासकर बनाम पश्चिम बंगाल राज्य में दिये गये निर्णय के आलोक में सेक्स वर्कर्स के अधिकारों की रक्षा के मद्देनजर स्टेकहोल्डर्स तथा अन्य विभागों के पदाधिकारियों एवं मीडिया कर्मियों को जागरूक करने की दिशा में उक्त कार्यशाला का आयोजन किया गया है। उन्होंने आर्टिकल -21 जीवन जीने के अधिकार पर विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि सेक्स वर्कर को भी सामान्य जीवन जीने का अधिकार है। उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव न करते हुए उनके अधिकारों की रक्षा की दिशा में हमें सजग रहना होगा और सभी को मिलजुल कर कार्य करने होंगे ताकि वे भी सामान्य जीवन जी सके और यह उनका अधिकार भी है।
कार्यशाला में सेक्स वर्कर को राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर कार्ड, सूखा राशन प्रदान कराना, मानव गरीमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार दिलाना एवं पुर्नवास जैसे विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। बताया गया कि इन्हे मूल अधिकार उपलब्ध कराने के संबंध में संबंधित स्टेक होल्डर्स को जागरूक करने की आवश्यकता है। सेक्स वर्कर्स भी मनुष्य है और वह पूरी तरह से मानव जीवन जीने की अधिकारी हैं। हमारे समाज का उनके प्रति भी कुछ कर्तव्य है।
इसके पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश, जिलाधिकारी मुजफ्फरपुर, सचिव विधिक सेवा प्राधिकार एवं अन्य अधिकारियों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर कार्यशाला का उद्घाटन किया गया। कार्यशाला के आरंभ में सहायक निदेशक बाल संरक्षण इकाई उदय कुमार झा के द्वारा उपस्थित सभी वरीय पदाधिकारियों को एवं विभिन्न विभागो तथा स्टेक होल्डर्स के प्रतिनिधियों का स्वागत किया गया। साथ ही उन्होंने यह बात भी कही कि इस कार्यशाला के माध्यम से सेक्स वर्कर के अधिकारों को समझने और उनके अधिकारों की सुरक्षा कैसे हो इस दिशा में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए यह एक बड़ा प्लेटफार्म है। उन्होंने कहा कि सेक्स वर्कर हमारे समाज के ही अंग है और उनके अधिकारों की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है।।
उन्होंने बताया कि आज का कार्यक्रम मुख्यतः जिला प्रशासन के द्वारा शुरू किए गए अभियान का आगाज था जिसमें सभी स्टेकहोल्डर्स पुलिस प्रशासन और न्यायपालिका से जुड़े पदाधिकारी एक मंच पर इकट्ठा हुए। आगे चलकर सेक्स वर्कर्स के जीवन में आमूलचूल परिवर्तन लाने तथा उन्हें सामान्य जीवन जीने के लिए एक सकारात्मक माहौल का निर्माण करने की दिशा में संबंधित इलाकों में सघन जन जागरूकता अभियान चलाकर इस अभियान को गति दी जाएगी।
अंत में विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव ने धन्यवाद ज्ञापन किया और कहा कि सेक्स वर्कर को उनकी मूल जरूरतों के लिए सभी संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित कर समस्याओं का निराकरण कराया जाएगा। उन्होंने जिला विधिक सेवा प्राधिकार से प्राप्त होने वाली सुविधाओं ,विधिक सहायता कैसे प्राप्त होगी के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कहा कि यदि कोई समस्या आती है तो उसके निपटारे के लिए वे जिला विधिक सेवा प्राधिकार पुलिस पदाधिकारी या जिला प्रशासन से बेहिचक संपर्क करें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें