पटना: बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारी प्रशासनिक स्तर पर तेज कर दी गई है. इस बीच नीतीश सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. सरकार के इस बड़े फैसले से प्रशासनिक कर्मियों को थोड़ी राहत मिली है. सरकार ने इस बार पुराने आरक्षण के आधार पर ही पंचायत चुनाव कराने का निर्णय लिया है. बिहार सरकार ने सभी जिलों के डीएम को आदेश दिया है कि वार्ड से लेकर जिला परिषद तक आरक्षण नियमावली के अनुसार जो भी सीट आरक्षित है, उसकी सूची 48 घंटे के अंदर पंचायत स्तर तक सार्वजनिक कर दिया जाये ताकि किसी भी उम्मीदवारों को नामांकन करने में कोई परेशानी नहीं हो.
पंचायत चुनाव में इसबार रोस्टर नहीं बदलने वाला है. पहले की तरह ही पद आरक्षित रहेंगे. यानी कि जैसे पिछले चुनाव हुआ था, वैसे ही सबर भी चुनाव कराया जायेगा. पहले की तरह आरक्षित पद के अनुसार पंचायत चुनाव में पिछड़े वर्ग की 127 जातियों को आरक्षण का लाभ मिलेगा. पंचायत चुनाव में इन जाति के प्रत्याशियों को नामांकन पत्र के साथ जाति प्रमाण पत्र सौंपना होगा. जाति प्रमाण पत्र सही नहीं पाये जाने पर उनका नामांकन पत्र रद्द होगा और गलत जाति प्रमाण पत्र देने पर उनकी सदस्यता चली जायेगी.
गौरतलब हो कि नीतीश कैबिनेट की ओर से राज्य में नये नगर निकायों के गठन की मंजूरी दी है. साथ ही यह भी निर्णय लिया गया है कि जो पंचायती राज संस्थाओं के आरक्षण में कोई भी बदलाव नहीं किया जायेगा. राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि त्रिस्तरीय पंचायतों व ग्राम कचहरी के पदों पर आम निर्वाचन 2021 के विभिन्न पदों को डिजिटाइज कर दिया जाये. राज्य निर्वाचन आयोग ने बताया है कि पंचायत के पदों के आरक्षण की स्थिति को डिजिटाइज कराया जाना आवश्यक है जिससे कि प्रत्याशियों के नामांकन, नामांकन पत्रों की जांच, मतगणना और निर्वाचन प्रमाण पत्र और प्रपत्र 23 तैयार करने में होगी.
आपको बता दें कि बिहार अधिनियम में अत्यंत पिछड़े वर्गों के लिए एनेक्सचर-एक में कुल 127 जातियां शामिल हैं. इनमें कपरिया, कानू, कलंदर, केवट, कादर, कोरा, खटवा, खंगर, खटिक, गंगोता, चाय, चपोती, तुरहा, धानुक, नोनिया, बलदार, माली, कसाई (मुस्लिम), छीपी, तिली, रंगरेज, सिंदुरिया जैसी जातियां शामिल हैं.
पंचायत चुनाव में सभी स्तर के पदों में आरक्षण का प्रावधान किया गया है. चाहे वह वार्ड सदस्य, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, जिला पर्षद सदस्य, ग्राम कचहरी के पंच और ग्राम कचहरी के सरपंच का पद हो. इन सभी स्तर के पदों पर अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्ग (एनेक्सचर-एक) में शामिल जातियों को आरक्षण का लाभ दिया गया है.
सभी स्तर के आरक्षित पदों में आधी सीटें उसी वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी गयी हैं. चाहे वह सामान्य वर्ग की सीटें हों या अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या पिछड़ा वर्ग की सीटें हों. पंचायत चुनाव में आरक्षण का आधार वर्ष 2011 की जनगणना को बनाया गया है. पंचायत आम चुनाव 2021 में भी आरक्षण का प्रावधान जनगणना 2011 के अनुसार ही होगा.
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