ईटानगर , देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में सीमांत भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और धांधली को लेकर अंतर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि प्राप्त शिक्षाविद् प्रोफेसर डॉ0 विश्व नाथ मौर्य ने गम्भीर चिंता जताया है। प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं असिस्टेंट प्रोफेसर के नियुक्तियों में व्यावहारिक तौर पर निष्पक्षता एवं पारदर्शिता का नितांत अभाव होने के कारण रिश्वतखोरी और धांधली चर्म सीमा पर पहुँच गया है। विश्वविद्यालयों में तीब्रगति से बढ़ते भ्रष्टाचार को देखते हुए प्रो. मौर्य ने बताया कि किसी व्यक्ति के शैक्षिक योग्यता, गुणवत्ता और अनुभव के आधार पर कुलपति या प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं होती है बल्कि ऎसे किसी भी पद की नियुक्ति के लिए बंद कमरे में कई लाख - करोड़ रुपये की रिश्वत देनी पड़ती है। भ्रष्टाचार के ऎसे कई मामले मौजूद हैं जिसमें विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और धांधली के बावजूद भी उसकी कुलपति के रूप में पुनः नियुक्ति या पदोन्नति कर दिया गया है जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए बहुत बड़ा दुर्भाग्य और कलंक है। हाल ही में गणित एवं सांख्यिकी के प्रोफेसर डॉ0 विश्व नाथ मौर्य (Dr. Vishwa Nath Maurya) ने राजीव गांधी विश्वविद्यालय, ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) के भ्रष्ट कुलपति साकेत कुशवाहा (Currupt VC Saket Kushwaha) के भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और धांधली का पर्दाफाश किया है जिस भ्रष्ट कुलपति का इसके पहले सन् 2016-17 में कई बार पुतला फूँक कर मिथिला विश्वविद्यालय (बिहार) के हजारों छात्रों एवं कर्मचारियों के अलग-अलग संगठनों ने रोषपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया था।
बता दें कि मिथिला विश्वविद्यालय (बिहार) के पूर्व कुलपति रह चुके साकेत कुशवाहा (Saket Kushwaha) का उसके भ्रष्टाचार, धांधली, रिश्वतखोरी और तानाशाही के खिलाफ विश्वविद्यालय के छात्र एवं कर्मचारी संगठनों ने अपने हड़ताल और आंदोलन में कई बार उसका पुतला फूँक कर भरपूर विरोध प्रदर्शन किया था किंतु आश्चर्य होता है कि शासन - प्रशासन की ओर से भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी में लिप्त साकेत कुशवाहा (Saket Kushwaha) के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। जब विरोध प्रदर्शनकारियों में शामिल हजारों छात्रों और कर्मचारियों ने भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और धांधली में लिप्त साकेत कुशवाहा के खिलाफ ज़ोर शोर से हंगामा करते हुए शासन - प्रशासन के द्वारा उसके खिलाफ कोई कार्रवाई न किए जाने पर सवाल उठाया तो पता चला कि साकेत कुशवाहा संघ का दलाल होने के कारण भाजपा की सरकार में उसकी ऊँची पहुँच है। अतएव, मिथिला विश्वविद्यालय में उसने अपने कार्यकाल के दौरान अपने विरोध में प्रदर्शनकारियों में शामिल हजारों छात्रों और कर्मचारियों के आवाज को दबाने के लिए भी अपने पालतू गुंडों की मदद लिया था। और, इतना ही नहीं अपितु उसने अपने शातिराना और चाटुकारिता के चलते
भाजपा शासित उत्तर प्रदेश में शासन- सत्ता का नाजायज लाभ उठाते हुए अपनी सगी बहन निर्मला एस. मौर्य को भी पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर का कुलपति बनवाने में कामयाबी हासिल कर लिया। और, सीधी - साधी अबोध जनता के बीच झूठी वाहवाही पाने और उन्हें मुर्ख बनाने के लिए आये दिन अपनी बहन निर्मला एस. मौर्य के साथ समाचार पत्रों में फिजूल की सफलता के लेख छपवाता रहता है जिससे भोली-भाली जनता दिग्भ्रमित होकर उस भ्रष्टाचारी व्यक्ति को अच्छी निगाह से देख सके और उसको सस्ती लोकप्रियता मिल सके। परन्तु सच्चाई तो इससे बिल्कुल भिन्न है, उसके खाने और दिखाने के दाँत अलग-अलग हैं और उसने भ्रष्टाचार, धांधली, रिश्वतखोरी और धूर्तता में महारत हासिल कर लिया है।
देश - विदेश के कई विश्वविद्यालयों एवं तकनीकी संस्थानों में प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, डीन, डायरेक्टर, परीक्षा नियंत्रक, प्रधान परीक्षक रह चुके शिक्षाविद् प्रोफेसर डॉ0 विश्व नाथ मौर्य ने गम्भीर चिंता जताया है कि भाजपा सरकार में साकेत कुशवाहा (Saket Kushwaha) जैसे भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोर, धांधलेबाज कुलपति के खिलाफ कोई कार्रवाई न किया जाना शिक्षा क्षेत्र में भ्रष्टतंत्र को बढ़ावा देना है। प्रो. मौर्य ने घोर आपत्ति जताया है कि साकेत कुशवाहा जैसे भ्रष्टाचारी, तानाशाह, अपवादित और कलंकित कुलपति को जेल में होना चाहिए किन्तु विडम्बनापूर्ण है कि भाजपा सरकार की विसंगतियों के चलते ऎसे संघी दलाल साकेत कुशवाहा (Saket Kushwaha) को पुनः सन् 2018 में राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) का कुलपति नियुक्त कर भ्रष्टाचार को बढ़ाने का फैसला लिया गया है। उन्होंने राजीव गांधी विश्वविद्यालय ईटानगर के वर्तमान भ्रस्ट कुलपति साकेत कुशवाहा (Currupt VC Saket Kushwaha) पर आरोप लगाया है कि उसने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली के मानकों को ताख पर रखते हुए प्रोफेसर डॉ0 विश्व नाथ मौर्य से रिश्वत के रूप में मोटी रकम न पाने के कारण ईर्ष्या, द्वेष और प्रतिषपर्धा की गलत मंशा के साथ मनमाने ढंग से शून्य एपीआई स्कोर (Zero API Score) देकर प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए अयोग्य ठहराया है जो सुप्रीम कोर्ट में चुनौतीपूर्ण है।
डॉ. विश्व नाथ मौर्य ने बताया कि देश के पचासों प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों से उन्हें उनके पर्याप्त शैक्षिक योग्यता, गुणवत्ता और अनुभव को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें न केवल प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, डीन, डायरेक्टर, रजिस्ट्रार और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी एवं कुलपति जैसे महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्ति हेतु साक्षात्कार के लिए बुलाया गया अपितु वह देश - विदेश के कई विश्वविद्यालयों एवं तकनीकी संस्थाओं में प्रोफेसर, विभागाध्यक्ष, डीन, डायरेक्टर और परीक्षा नियंत्रक भी रह चुके हैं और उन्होने उच्च शिक्षा क्षेत्र में 20 वर्ष से अधिक सेवा भी किया है। ऎसे में गम्भीर प्रश्न उठता है कि जो व्यक्ति पहले से अपनी पर्याप्त योग्यता, गुणवत्ता, अनुभव और विश्व के अनेकानेक पीर रेव्यूड जर्नल (peer reviewed journal) में सैकड़ों प्रकाशित शोधपत्रों के आधार पर देश - विदेश के विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष रहकर भारत गौरव, राष्ट्रीय शिक्षा रत्न और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक्सीलेंस अवार्ड समेत दर्जनों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया हो, उसे किसी विश्वविद्यालय का कोई वीसी जीरो एपीआई स्कोर देकर कैसे अयोग्य ठहरा सकता है?
गौरतलब है कि शिक्षा जगत में ख्याति प्राप्त प्रोफेसर डॉ0 विश्व नाथ मौर्य के विधिमान्य साक्ष्यों एवं गम्भीर तथ्यों को ध्यान में रखते हुए भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और धांधली में फंसे आरजीयू के भ्रष्ट वीसी साकेत कुशवाहा (Saket Kushwaha) के समर्थन में कोई व्यक्ति या अधिकारी आवाज उठाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। उन्होने उसके भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और धांधली को खुली चुनौती देते हुए कहा है कि साकेत कुशवाहा का बाप भी यूजीसी के मानकों को दरकिनार करते हुए सुप्रीम कोर्ट में प्रो. मौर्य का एपीआई स्कोर शून्य ठहराते हुए अयोग्य नहीं सिद्ध कर सकता है।
बता दें कि प्रोफेसर डॉ0 विश्व नाथ मौर्य ने इस पर आपत्ति दर्ज कराते हुए केंद्र सरकार से मांग किया है कि विवादित प्रकरण की गंभीरता और संवेदनशीलता को दृष्टिगत रखते हुए केंद्र सरकार को जनहित में राजीव गांधी विश्वविद्यालय, ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) के ऎसे भ्रष्ट, तानाशाह और कलंकित वीसी साकेत कुशवाहा को उसके पद से तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए अन्यथा वैकल्पिक तौर पर प्रो. मौर्य उचित न्याय पाने और उसके बर्खास्तगी (termination) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे।
संवाददाता :- प्रेम शंकर कुमार
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