बचाव के तरीकों आदि विषय पर पदाधिकारियों, पंचायती राज प्रतिनिधियों, नाविकों, नाव मालिकों, गोताखोरों, एसटीआरएफ टीमों व समुदायों हेतु विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया| इस विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में मुजफ्फरपुर जिले के अतिरिक्त अररिया एवं सुपौल जैसे बाढ़ प्रभावित जिलों को शामिल किया गया|
नाव दुर्घटनाओं की रोकथाम पर मुख्य संबोधन में श्री व्यास जी, उपाध्यक्ष, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बिहार पटना ने कहा कि नाव दुर्घटनाओं के प्रति बाढ़ प्रभावित तथा नदियों से घिरे जिले विशेषकर उत्तर बिहार के जिले अत्यंत संवेदनशील हैं| नाव दुर्घटना एक मानव निर्मित आपदा है तथा नाव सुरक्षा मानकों का पालन न करने, नाविकों द्वारा सुरक्षात्मक व्यवहार न करने तथा यात्रियों द्वारा सावधानियां न बरतने के कारण होती हैं| नावों का परिचालन हमारी आजीविका से जुड़ी गतिविधियों के लिए आवश्यक तो है परंतु सुरक्षा के पहलुओं का ध्यान न रखना नाव दुर्घटनाओं का कारण बनती हैं| इन सब के दृष्टिगत स्थानीय प्रशासन व नाव मालिकों, नाविकों, गोताखोरों के साथ-साथ समुदाय की जिम्मेदारी बढ़ जाती है ताकि किसी प्रकार की अप्रिय घटना ना घटित होने पाए|
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सुरक्षित नावों का परिचालन करने हेतु निर्धारित मानकों पर कैप्टन सुमंत सहाय, नेशनल इनलैंड नेवीगेशन इंस्टीट्यूट (निनी), पटना ने सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया तथा नाव सुरक्षा के आवश्यक मानदंड के बारे में बताया| उनके द्वारा प्रतिभागियों को नावों के संचालन सम्बन्धी मानक संचालन प्रक्रिया, निबंधन प्रक्रिया, नाव सुरक्षा निर्देशिका, अधिनियमों, दण्ड प्रावधानों आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी| इसके उपरांत श्री जीवन कुमार, परियोजना पदाधिकारी, बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण बिहार पटना ने नौका दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की रोकथाम के उपाय व नाव यात्रियों द्वारा बरती जाने वाली सावधानियों पर प्रकाश डाला|
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में, श्री अतुल कुमार वर्मा, अपर समाहर्ता, आपदा प्रबंधन मुजफ्फरपुर ने बाढ़ 2020 के अनुभवों व अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि इस वर्ष मुजफ्फरपुर जिले में आयी बाढ़ के दृष्टीगत जिला प्रशासन ने नाव सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया, इसके तहत एसटीआरएफ टीमों द्वारा अंचलों में नाविकों व गोताखोरों का पूर्व तैय्यारी हेतु प्रशिक्षण कराया गया तथा बाढ़ के समय जिला प्रशासन द्वारा रात्रि के समय नाव संचालन निषेध किये जाने से इस वर्ष नाव दुर्घटना सम्बन्धी घटना नहीं हुई| प्रशासन नाव दुर्घटना व डूबने से होने वाली मृत्यु में कमी लाने के प्रति सजग है, विशेष पर्व एवं त्योहारों पर भी प्रशासन द्वारा नाव सुरक्षा व घाटों की सुरक्षा हेतु इंतजाम किए जाने से नाव दुर्घटना में आपेक्षित कमी आई है| भविष्य में नाव दुर्घटनाओं के प्रभावी न्यूनीकरण के लिए विशेष अभियान चलाकर सभी नाव मालिकों नाविकों, गोताखोरों, दियारा के किसानो व मछुआरों का नाव सुरक्षा पर ए०डी०आर०एफ० टीम के सहयोग से प्रशिक्षण किया जायेगा| साथ ही, उन्होंने नव वर्ष के अवसर पर लोगों द्वारा घाटों पर पिकनिक मनाने व नाव से घुमने-फिरने से नाव दुर्घटनाओं व डूबने से होने वाली मृत्यु से जुडी घटनाओं की संवेदनशीलता का संज्ञान लेते हुए सुरक्षा की दृष्टिगत घाटों पर आवश्यक सुरक्षा इंतजाम करने के निर्देश सभी अंचल अधिकारियों को दिए|
श्री शिव शंकर गुप्ता, अंचलाधिकारी काँटी द्वारा बाढ़ प्रभावित अंचलों में प्राधिकरण द्वारा संचालित सुरक्षित तैराकी कार्यक्रम शीघ्र प्रारंभ कराए जाने का निवेदन माननीय उपाध्यक्ष बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से किया गया, जिस पर उनके द्वारा प्राधिकरण के स्तर से शीघ्र कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया|
श्री सुबोध कुमार, अंचलाधिकारी, कटरा ने कहा कि मझौली नाव के सुरक्षित संचालन के लिए न्यूनतम 2 नाविकों व 1 गोताखोर का प्रावधान किया जाना चाहिए, वर्तमान में 1 नाविक का ही प्रावधान है जो नाव सुरक्षा की दृष्टि से उपयुक्त नहीं है इस पर कैप्टन सुमन सहाय नेशनल इनलैंड नेवीगेशन इंस्टीट्यूट (निनी) पटना ने आश्वासन दिया कि इस संबंध में शीघ्र प्रस्ताव आपदा प्रबंधन विभाग व परिवहन विभाग को भेजा जाएगा|
इस अवसर पर, मोहम्मद साकिब खान, कंसलटेंट डिजास्टर मैनेजमेंट प्रोफेशनल, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, मुजफ्फरपुर ने कहा कि नाव सुरक्षा संबंधी उपायों के तहत घाटों पर स्थित मंदिरों से जन सन्देश को प्रसारित कर घाटों पर आने जाने वाले यात्रीयों व समुदायों को जागरूक किया जा सकता है|
कार्यक्रम का समापन अपर समाहर्ता आपदा प्रबंधन, अररिया के उद्बोधन के साथ किया गया|
संवाददाता, प्रेमशंकर
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