मधेपुरा , दिनांक 4 अगस्त 2020 को भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, लालू नगर, मधेपुरा के स्नातकोत्तर विज्ञान संकाय के कौंसिल मेंबर सह आंतरिक परिवाद समिति सदस्य बिट्टू कुमार ने कहा कि नई शिक्षा निती गरीब एवं ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों के लिए हानिकारक है । लोकल लौंगबेज (स्थानीय भाषा) एक क्लास
( 1) से( 5 ) पाॅंच क्लास तक शिक्षा में पढ़ाई छात्रों को और विषय में कमज़ोर करने लायक है । जबकि पूरे विश्वभर में अंग्रेजी भाषा के बिना आपको अच्छी कोई नौकरी नहीं मिल सकता है । तो फिर यह लोकल भाषा में एक से पाॅंच क्लास क्यों जबकि जिस क्षेत्र के छात्र है । वह तो लोकल भाषा का ज्ञात तो एवं उसके कल्चर से ही ज्ञान प्राप्त हो जाता है । इस आधुनिक युग में बिना अंग्रेजी, गणित, विज्ञान के जानकारी बिना कुछ भी करना असंभव है चाहे वह अच्छे पदों की नौकरी हो या और सेक्टर हो वही मुझे तो लगता है, कि उच्च शिक्षा को ऑटोनाॅमस बनाने के नाम पर पूरी तरह नई शिक्षा नीति निजीकरण का दूसरा नाम है अब उच्च शिक्षा गरीब, मजदूरी, एवं किसान परिवार और छोटे व्यवसाय के बच्चों उच्च शिक्षा से वंचित रखने का नया सूत्र है । जबकि देशभर के शिक्षकों ने पाॅलिसी के ड्राप्ट पर सुधार के बिंदु सुझाए थे लेकिन बिना बहस के बदलाव कर इसे लागू कर दिया गया । न तो शिक्षक और न ही छात्रों को इसमें शमिल किया गया । शिक्षा बजट में सरकार की सब्सिडी बढ़ानी चाहिए थी । जो कि घट रही है । समाजिक परिवर्तन हो लेकिन इस तरह की शिक्षा नीति से जो अमीर है , वो और अमीर ही होंगे । 6 % शिक्षा पर खर्च यह ऊॅंट के मुॅंह में जीरा के फौरन के समान है । इस आधुनिक युग में बहुत सारे देश 15 % से 25 % तक शिक्षा पर खर्च करने जा रहे हैं । एवं कर रहे हैं वही भारत सिर्फ 6% ही शिक्षा पर खर्च की बात कर चुकी है । मुझे तो लगता है यह सिर्फ भारत के लोगों को मूर्ख बनाने का काम कर रही है सरकार !!
संवाददाता :- प्रेम शंकर कुमार
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