समाज की अस्वीकृति मानिसक रोगियों के विकास में बाधक: सिविल सर्जन
मुज़फ़्फ़रपुर /10 अक्टूबर: समाज में मानसिक रोगियों के साथ भेदभाव करना उनके विकास में बाधक सबित हो रही है। मानसिक बिमारियों से ग्रसित मरीजों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए, बल्कि उनके साथ अच्छे से बातचीत करना चाहिए । उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ. शैलेश प्रसाद सिंह ने सदर अस्पताल के ओपीडी परिसर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस कार्यक्रम के दौरान कही।
सिविल सर्जन डॉ शैलेश प्रसाद सिंह ने कहा घबराहट , नींद न आना लंबे समय से सरदर्द रहना, बिना वजह शक करना , अपने आप से बातें करना , बरबराना , तरह तरह की आवाज़े सुनाई देना मानसिक रोग के शुरुआती लक्षण हो सकते है इस तरह के कोई भी लक्षण लगे तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ केंद्र मे संपर्क करें ।
बहुत से लोग जो मानसिक बीमारी को समझते नहीं हैं वह इस से पीडि़त लोगों से भयभीत हो जाते हैं। आम तौर पर इस बारे मैं लोगों की समझ मास मीडिया पर ही आधारित होती है। अक्सर आमजन में यह धारणा बनी रहती है कि मानसिक रोग से पीडि़त व्यक्ति अजीब और मंद बुद्धि वाले होते हैं। यह गलत और अनुचित वर्णन एक ऐसी सोच को बढ़ावा देते हैं जो समाज में मानसिक बिमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों और उनके परिवारों की अस्वीकृति और उपेक्षा का कारण है। मानसिक रोग से बचने के लिए जरूर है कि ज्यादा से ज्यादा दोस्तों एंव परिवार के साथ समय व्यतीत करें। ऐसी परिस्थिति में चित्किसक की सलाह जरूर लें। मानसिक कष्ट व तनावों से ज्यादा से ज्यादा बचाव करें।
मरीजों को किया गया जागरूक:
सदर अस्पताल में मौजूद मरीज व उनके परिजनों के मानसिक रोग के कारण एंव उनके बचाव के बारे में जानकारी दी गयी। लोगों को बताया गया कि यदि घर में कोई व्यक्ति चुप -चुप रहता है, परेशान या अवसाद से ग्रसित है, तो समस्याओं से बाहर निकालकर आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति से बाहर निकाला जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति किसी बात को लेकर बहुत परेशान है, तो उससे संवाद स्थापित कर उचित समाधान ढूँढने कि कोशिश करनी चाहिए।
छोटी -छोटी बातों को नजरंदाज करना जरूरी:
छोटी -छोटी बातों को इग्नोर करना सीखें। किसी की बात बुरी लगे, तो उस बात को लेकर नहीं बैठें। बल्कि बात करके उसे समाप्त कर दें, क्योंकि कई बार ऐसी बातें अवसाद का कारण बनती हैं। ऐसी परिस्थितियों में आत्महत्या के विचार से बचना जरूरी है। पारिवारिक झगड़े और बेरोजगारी जैसी समस्या प्रत्येक इन्सान के जीवन में आती है, ऐसी समस्याओं का निदान ख़ुद को समाप्त कर नहीं हो सकता है। इसलिए जीवन की समस्याओं से डर कर भागने से बेहतर है उनका दृढ़ता से सामना किया जाए।
इस परेशानियों को न करें नजर अंदाज -
•हमेशा दुखी, तनाव ग्रस्त, खालीपन, निराश महसूस करना
•अपराध बोध से ग्रसित होना और स्वयं को नाकाबिल समझना
•आत्महत्या का विचार आना, लगातार चिड़चिड़ापन
•स्फूर्ति में कमी और थकान महसूस करना
•सेक्स के प्रति अनिच्छा, भूख कम या अधिक लगना
•किसी से बात करने का मन न होना और अकले रहने की इच्छा
•एकाग्रता और याददाश्त में कमी, निर्णय लेने में परेशानी
•अकारण सिर दर्द, पाचन में कमी और शरीर में दर्द
इस अवसर पर सिविल सर्जन शैलेश प्रसाद सिंह, अस्पताल उपाधीक्षक एन के चौधरी, ए सी एम ओ हरेंद्र कुमार आलोक, नोडल पदाधिकारी महादेव चौधरी, मनोरोग विशेषज्ञ डॉ अमर कुमार , डॉ एकता कुमारी, कम्युनिटी नर्स हरिकिशोर यादव एवं वार्ड असिस्टेंट सत्रुधन कुमार मौजूद थे।
मुज़फ़्फ़रपुर /10 अक्टूबर: समाज में मानसिक रोगियों के साथ भेदभाव करना उनके विकास में बाधक सबित हो रही है। मानसिक बिमारियों से ग्रसित मरीजों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए, बल्कि उनके साथ अच्छे से बातचीत करना चाहिए । उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ. शैलेश प्रसाद सिंह ने सदर अस्पताल के ओपीडी परिसर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य दिवस कार्यक्रम के दौरान कही।
सिविल सर्जन डॉ शैलेश प्रसाद सिंह ने कहा घबराहट , नींद न आना लंबे समय से सरदर्द रहना, बिना वजह शक करना , अपने आप से बातें करना , बरबराना , तरह तरह की आवाज़े सुनाई देना मानसिक रोग के शुरुआती लक्षण हो सकते है इस तरह के कोई भी लक्षण लगे तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ केंद्र मे संपर्क करें ।
बहुत से लोग जो मानसिक बीमारी को समझते नहीं हैं वह इस से पीडि़त लोगों से भयभीत हो जाते हैं। आम तौर पर इस बारे मैं लोगों की समझ मास मीडिया पर ही आधारित होती है। अक्सर आमजन में यह धारणा बनी रहती है कि मानसिक रोग से पीडि़त व्यक्ति अजीब और मंद बुद्धि वाले होते हैं। यह गलत और अनुचित वर्णन एक ऐसी सोच को बढ़ावा देते हैं जो समाज में मानसिक बिमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों और उनके परिवारों की अस्वीकृति और उपेक्षा का कारण है। मानसिक रोग से बचने के लिए जरूर है कि ज्यादा से ज्यादा दोस्तों एंव परिवार के साथ समय व्यतीत करें। ऐसी परिस्थिति में चित्किसक की सलाह जरूर लें। मानसिक कष्ट व तनावों से ज्यादा से ज्यादा बचाव करें।
मरीजों को किया गया जागरूक:
सदर अस्पताल में मौजूद मरीज व उनके परिजनों के मानसिक रोग के कारण एंव उनके बचाव के बारे में जानकारी दी गयी। लोगों को बताया गया कि यदि घर में कोई व्यक्ति चुप -चुप रहता है, परेशान या अवसाद से ग्रसित है, तो समस्याओं से बाहर निकालकर आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति से बाहर निकाला जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति किसी बात को लेकर बहुत परेशान है, तो उससे संवाद स्थापित कर उचित समाधान ढूँढने कि कोशिश करनी चाहिए।
छोटी -छोटी बातों को नजरंदाज करना जरूरी:
छोटी -छोटी बातों को इग्नोर करना सीखें। किसी की बात बुरी लगे, तो उस बात को लेकर नहीं बैठें। बल्कि बात करके उसे समाप्त कर दें, क्योंकि कई बार ऐसी बातें अवसाद का कारण बनती हैं। ऐसी परिस्थितियों में आत्महत्या के विचार से बचना जरूरी है। पारिवारिक झगड़े और बेरोजगारी जैसी समस्या प्रत्येक इन्सान के जीवन में आती है, ऐसी समस्याओं का निदान ख़ुद को समाप्त कर नहीं हो सकता है। इसलिए जीवन की समस्याओं से डर कर भागने से बेहतर है उनका दृढ़ता से सामना किया जाए।
इस परेशानियों को न करें नजर अंदाज -
•हमेशा दुखी, तनाव ग्रस्त, खालीपन, निराश महसूस करना
•अपराध बोध से ग्रसित होना और स्वयं को नाकाबिल समझना
•आत्महत्या का विचार आना, लगातार चिड़चिड़ापन
•स्फूर्ति में कमी और थकान महसूस करना
•सेक्स के प्रति अनिच्छा, भूख कम या अधिक लगना
•किसी से बात करने का मन न होना और अकले रहने की इच्छा
•एकाग्रता और याददाश्त में कमी, निर्णय लेने में परेशानी
•अकारण सिर दर्द, पाचन में कमी और शरीर में दर्द
इस अवसर पर सिविल सर्जन शैलेश प्रसाद सिंह, अस्पताल उपाधीक्षक एन के चौधरी, ए सी एम ओ हरेंद्र कुमार आलोक, नोडल पदाधिकारी महादेव चौधरी, मनोरोग विशेषज्ञ डॉ अमर कुमार , डॉ एकता कुमारी, कम्युनिटी नर्स हरिकिशोर यादव एवं वार्ड असिस्टेंट सत्रुधन कुमार मौजूद थे।
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